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जय श्रीहरि:
...विचार यह करना है ,कि प्रतिकूलता का सदुपयोग कैसे किया जाय ? दुःख का कारण सुख की इच्छा ,आशा ही है ,प्रतिकूल परिस्थिति दुखदायी तभी होती है ,जब भीतर सुख की इच्छा रहती है,अगर हम सावधानी के साथ अनुकूलता की इच्छा का ,सुख की आशा त्याग कर दें ,तो फिर हमें प्रतिकूल परिस्थिति में दुःख नही हो सकता अर्थात् हमें प्रतिकूल परिस्थिति दुखी नही कर सकती ,जैसे ,रोगी को कड़वी दवाई लेनी पड़े ,तो भी उसे दुःख नही होता ,प्रत्युत इस बात को लेकर प्रसन्नता होती है,कि इस दवाई से मेरा रोग नष्ट हो रहा है,ऐसे ही पैर में काँटा गहरा गड़ जाय और काँटा निकालने वाला उसे निकालने के लिए सुई से गहरा घाव बनाये तो बड़ी पीड़ा होती है ,उस पीड़ा से वह सिसकता है,घबराता है,पर वह काँटा निकालने वाले को यह कभी नही कहता कि भाई तुम छोड़ दो ,काँटा मत निकालो ,काँटा निकल जायेगा ,सदा के लिए पीड़ा दूर हो जाएगी -इस बात को लेकर वह इस पीड़ा को प्रसन्नतापूर्वक सह लेता है,यह जो सुख की इच्छा का त्याग करके दुःख को ,पीड़ा को प्रसन्नतापूर्वक सहना है यह प्रतिकूलता का सहयोग है,अगर वह कड़वी दवाई लेने से,काँटा निकालने की पीड़ा से दुखी हो जाता है ,तो यह प्रतिकूलता का भोग है,जिससे उसको भयंकर दुःख पाना पड़ेगा ..........................जय श्रीहरि
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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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