ईसा मसीह वर्णसंकर थे ,उनकी माँ का विवाह हुआ तो सात महीने का लड़का पेट में था ,लोगों ने मरियम को कुलाक्ष्ना कहकर उन्हें समाज एवं नगर से निकालने का विचार किया (लगता है पतिव्रत धर्म उस समय येरुसलम में प्रचलित था,आज तो कोई नही निकालता )फिर स्वप्न दिखाई पड़ा की इनके पेट में जो बालक है वह पवित्र आत्मा है,बाद में लोगो ने जोड़ दिया कि वह पवित्रात्मा से गर्भवती हुई ,वस्तुतः कोई पुण्य आत्मा ही पेट में था न कि परमात्मा मरियम से गन्धर्व विवाह करने आया , ईसा बड़े अच्छे महापुरुष हुए ,विश्व का काफी बड़ा भाग उनका अनुसरण करता है,भारतीय विचारधारा ,भारतीय दर्शन ही उनके उपदेशों में एक ही जैसा है,क्योकिं एक ही सत्ता को सभी ने देखा है तो दूसरा कोई कहेगा क्या? प्रप्तिवाले महापुरुष समाज के बीच कभी दरार डाल ही नही सकते ,वे कभी नही कहते की आप हिन्दू है,वह इसाई है,तुम बौद्ध ,जैन ,पारसी या सिख हो ,महापुरुषों के नाम पर उनके अनुयाई पीछे दरार डालते रहते है,स्वार्थ सिद्धि के लिए महापुरुष के नाम से वे अनेक भ्रांतियों ,रूढ़ियाँ ,सम्प्रदायों का प्रचलन करते रहते है,प्रायः प्रत्येक महापुरुष के साथ ऐसा होता आया है ,बुद्ध ,ईसा ,मुहम्मद ,कबीर,सबके उपदेशों पर कुरीतियाँ पनप गयी है,यदि किसी ने उस सत्ता का स्पर्श प् लिया ,जो सबकी आत्मा में संचारित हैफिर वह मानव-मानव में दरार कैसे डालेगा ? यदि दरार डालता है,तो सिद्ध है कि वह लक्ष्य से अभी दूर है ........................................................................................................................................................महिमा गुरुदेव जी की
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