युग शब्द "दिव्ययुग" का वाचक है,और उस समय को ब्रम्हा के दिन रात का परिणाम बतलाया गया है ,युग शब्द "दिव्ययुग"का वाचक है,जो सतयुग त्रेता युग ,द्वापर युग ,और कलियुग,चारों युगों के समय को मिलाने पर होता है,यह देवताओं का युग है,इससे देवताओं के समय का परिणाम हमारे समय के परिणामों से तीन सौ साठ (360)गुना अधिक माना जाता है,अर्थात् हमारा एक वर्ष देवताओं का चौबीस (24)घंटा का एक दिन-रात ,हमारे तीस वर्ष देवताओं का एक महीना और हमारे तीन सौ साठ (360)वर्ष उनका एक दिव्य वर्षों का होता है ,ऐसे बारह हजार दिव्य वर्षों का एक दिव्य युग होता है,इसे "महायुग"और चतुर्युग भी कहते है,इस संख्या के जोड़ने पर हमारे 43,20,000वर्ष होते है ,एक चतुर्युग में...
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