जीवन जीने की कला- भौतिक स्तरपर आप अपनी तुलना हमेशा ऐसे व्यक्ति से करे,जो आप से कम भाग्यशाली है,इससे आपको भौतिक संतोष प्राप्त होगा ! एक बार एक आदमी भगवान को कोसता हुआ अति दुःखी मन से चला जा रहा था,क्योकि उसके पास पाँव में पहनने के लिए जूते नहीं थे,कुछ दूरी तय करने के पश्चात् उसकी नजर एक ऐसे इंसान पर पड़ी ,जिसके पाँव ही नहीं थे,तत्काल उसका दुःख हलका हो गया,और वह प्रभु को धन्यवाद देने लगा कि प्रभु ने उसे लँगड़ा-लूला पैदा नहीं किया ! किसी की भी बात के लिए कभी आलोचना न करे,चाहे वह कितना ही गलत क्यों न हो,मानसिक शान्ति चाहिए तो अपने काम से ही काम रखें,मन की शान्ति के लिए अपने काम से मतलब रखना अचूक औषधि है,कम बोलने से भी तनाव कम होता है,घर हो या बाहर ,ज्यादा बोलने वालों से सभी नफरत करते है,काम बोलना समझदारी की निशानी है,बिना सोचे कुछ भी बोलने से अनर्थ हो सकता है,महाभारत इसका साक्षात् उदाहरण है,अतः काम बोलें ,बिन माँगे किसी को भी सलाह न दें ,किसी से भी बहस न करें,इससे कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है,बहस में जीतने पर आपका अहँकार बढ़ेगा और सामने वाला आहत होगा,जिससे दोस्ती में दरार पड़ेगी ! अतः दूसरों को अपनी बात पर अड़ा रहने दीजिये ,संसार में ऐसे मूर्खों की कमी नहीं है,जो किसी की बात सुनने के लिए तैयार नहीं है,उनसे बहस करके अपनी शक्ति एवं समय का दुरूपयोग न करे ! यही तनाव रहित जीवन जीने की कला है !! जय श्रीहरि: !! शुभ दीपावली
जीवन जीने की कला
जीवन जीने की कला- भौतिक स्तरपर आप अपनी तुलना हमेशा ऐसे व्यक्ति से करे,जो आप से कम भाग्यशाली है,इससे आपको भौतिक संतोष प्राप्त होगा ! एक बार एक आदमी भगवान को कोसता हुआ अति दुःखी मन से चला जा रहा था,क्योकि उसके पास पाँव में पहनने के लिए जूते नहीं थे,कुछ दूरी तय करने के पश्चात् उसकी नजर एक ऐसे इंसान पर पड़ी ,जिसके पाँव ही नहीं थे,तत्काल उसका दुःख हलका हो गया,और वह प्रभु को धन्यवाद देने लगा कि प्रभु ने उसे लँगड़ा-लूला पैदा नहीं किया ! किसी की भी बात के लिए कभी आलोचना न करे,चाहे वह कितना ही गलत क्यों न हो,मानसिक शान्ति चाहिए तो अपने काम से ही काम रखें,मन की शान्ति के लिए अपने काम से मतलब रखना अचूक औषधि है,कम बोलने से भी तनाव कम होता है,घर हो या बाहर ,ज्यादा बोलने वालों से सभी नफरत करते है,काम बोलना समझदारी की निशानी है,बिना सोचे कुछ भी बोलने से अनर्थ हो सकता है,महाभारत इसका साक्षात् उदाहरण है,अतः काम बोलें ,बिन माँगे किसी को भी सलाह न दें ,किसी से भी बहस न करें,इससे कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है,बहस में जीतने पर आपका अहँकार बढ़ेगा और सामने वाला आहत होगा,जिससे दोस्ती में दरार पड़ेगी ! अतः दूसरों को अपनी बात पर अड़ा रहने दीजिये ,संसार में ऐसे मूर्खों की कमी नहीं है,जो किसी की बात सुनने के लिए तैयार नहीं है,उनसे बहस करके अपनी शक्ति एवं समय का दुरूपयोग न करे ! यही तनाव रहित जीवन जीने की कला है !! जय श्रीहरि: !! शुभ दीपावली
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