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जय श्रीहरि:
इन्द्रियाँ चाहे जब ,चाहे जिस विषय में स्वच्छन्द चली जाती है,मन सदा चंचल रहता है,और अपनी आदत को छोड़ना ही नही चाहता एवं बुद्धि एक परम निश्चय पर अटल नहीं रहती है,यहीं इनका स्वतन्त्र य उच्छल हो जाना है,विवेक और वैराग्य पूर्ण अभ्यास द्वारा इन्हें आज्ञाकारी और अंतर्मुखी य भगवानिष्ठा बना लेना ही इनको जीतना है,ऐसा कर लेने पर इन्द्रियाँ स्वच्छन्दता से विषयों में न रमकर हमारे इच्छानुसार जहाँ हम कहेंगे,वहीँ रुकी रहेंगी, मन हमारे इच्छानुसार एकाग्र हो जायेगा और बुद्धि एक ईष्ट निश्चय पर अचल और अटल रह सकेंगी यह ठीक है कि इन्द्रियों पर विजय पा लेने से प्रत्याहार (इन्द्रिय वृतियों का संयत होना )मन को वश में कर लेने पर धारण (चित का एक देश में स्थिर करना )और बुद्धि को अपने अधीन बना लेने पर ध्यान (बुद्धि को अपने अधीन बना लेने पर बुद्धि को एक निश्चय पर अटल रखना )सहज हो जाता है ,इसलिए ध्यान योग में इन तीनों को वश में कर लेना बहुत ही आवश्यक है,हमने इन्द्रिय, मन, और बुद्धि को सब प्रकार से तन्मय बना दिया है ,जो नित्य-निरन्तर परमात्मा की प्राप्ति के प्रयत्न में ही सलग्न हूँ,जिसका एक मात्र उद्देश्य केवल परमात्मा को ही प्राप्त करता है,परमात्मा के सिवा किसी और वस्तु को प्राप्त करने योग्य नहीं समझता .........जय श्रीहरि: शुभरात्रि
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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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