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जय श्रीहरि:
 - प्रत्यक्ष दर्शन वाले अनेक महापुरुष पढ़े-लिखे नही थे रामकृष्ण परमहंस पढ़े-लिखे नहीं थे,हमारे महाराज भी पढ़े लिखे नहीं थे,राम लिखना भी उन्हें ठीक से नहीं आता था,जड़ भरत पढ़े-लिखे नही थे ,काकभुशुण्डी पढ़े-लिखे नहीं थे " हारेउ पिता पढाई पढ़ाई "पिता हताश हो गए वे नही पढ़े ठीक इसी प्रकार बहुत से महापुरुष ऐसे मिलेंगे जो पार्थिव शिक्षा-दीक्षा में शून्य थे लेकिन अपने युग के सर्वश्रेष्ठ विद्वान थे,काकभुशुण्डी आश्रम में भगवान शंकर भी जाया करते थे,अतः आप पढ़े-लिखे है तो ठीक है अन्यथा कोई छति भी नही है,क्योकि इष्ट में समत्व दिलानेवाली क्रिया जिसका नाम कर्म अथवा आराधना है,विरह-वैराग्य से सीखने में आती है,लौकिक शिक्षा बुद्धि का प्रसार करती है,जबकि इष्ट -सम्बन्धी कर्म के लिए बुद्धि -मन का निरोध होना आवश्यक है,अतः किसी अनुभवी पुरुष की शरण में रहकर साधना करनी चाहिए कहने में कुछ और आता है,लिखने में कुछ और आता है,किन्तु क्रियात्मक आचरण से उन महापुरुषों द्वारा ,आत्मा की अन्त्सप्रेरणासे साधन -क्रम जागृत हो जाता वह और विलक्षण है,आरम्भ हो जाने के पश्चात् फ़िर वह कभी भी पिण्ड नहीं छोड़ता ,कभी नष्ट नहीं होता ध्रुव -कल्याण करता है,योग में आरम्भ का भी नाश नहीं है,थोड़ी भी साधना करे,आरम्भ तो करे !....जय श्रीहरि: शुभरात्रि
गुरु उड़ि चलो देशवा बिराना है ,छाओ- छाओ हो फकीरवा गगन कुटिया !
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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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