Comments

जय श्रीहरि:

दान...

... " दानं परं किन् सुपात्र दत्तम् " दान वही श्रेष्ठ है जो सुपात्र को दिया जाता है कुपात्र को दान देने से दाता भी नष्ट हो जाता है,दान की महिमा देख बहुत से कबीले भी दान लेनेवाले बन गए,कुछ कबीले ने तो दान को ही जीविका का साधन बना लिया ,कहीं देवता दिखाकर ,कही चमत्कारों का प्रदर्शन कर,कही,स्वर्ग का प्रलोभन देकर ,कहीं प्रायश्चित का भय दिखाकर दान का क्षेत्र बढ़ाना और उसे प्राप्त करना उनका उद्द्योग बन गया ,महापात्रों के घर में बहू आती है,यदि उस वर्ष उसके यजमान में कोई मारा तो कहते है की बहू दरिद्र नारायण है ,कदाचित् दस-बारह लोग यजमानी में दिवंगत हो गए ,दस-बारह गद्दा-तकिया -चारपाई मिली तो कहते है की बहू क्या है,साक्षात् लक्ष्मी आ गई ,यह दान का दुरूपयोग है,शहरों में बच्चों का अपहरण कर उनके हाथ-पैर की शल्यक्रिया कर उन्हें विकलांग बना देते है ,भींख माँगने योग्य आकृति दे देते है,उन्हें ट्रक में भरकर ले जाते है चौराहों -तीर्थ-स्थलों पर बैठा देते है,ऐसे बालक दिन भर "बाबूजी-बाबूजी " कहकर मांगते ही रहते है,शाम को उनकी गाड़ी आती है उन्हें भरकर ले जाती है,धंधा चलानेवाले उस पैसे से क्लब अटेण्ड करते है,बम्बई जैसे महानगरों में भिक्षा माँगने की जगह के लिए "पगड़ी "देनी होती है,आपस में पगड़ी का लेंन -देंन कर लेते है,भीख माँगने को दान देना अकर्मण्यता को बढ़ावा देना है,और किसी भी विकासोन्मुख राष्ट्र के लिए अभिशाप हो सकता है !!! कृपा गुरुश्रेष्ठ ......
SHARE

Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

Post a Comment