ब्रम्ह में स्थित महापुरुष व उनमे जो सद्गुरु है,उनका मन-कर्म-वचन से पूजन ही अभेद्य कवच है,इसके समान विजय का दूसरा कोई उपाय ही नही है " कवच अभेद्य विप्र गुरु पूजा,एहि सम विजय उपाय न दूजा !! दान ही परशु एवं बुद्धि ही प्रचण्ड शक्ति है,विशेष अनुभूतियो का सन्चार ही वह धनुष है जिसमे प्रकृति का पहलू एक बार जितना समाप्त हुआ पुनः जीवित नहीं होता..दान परशु बुधि सक्ति प्रचंडा ! बर बिग्यान कठिन कोदंडा
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