" यो निन्दति महादेवम् निन्धमानम् शृणोति च , तावुभौ नरकं यातो यावच्चन्द्रदिवाकरौ "
अर्थात जो महादेव जी की निंदा करता है,तथा जो उनकी निंदा होती देखता है,और चुपचाप सुनता है,वे दोनों नरक में जाते है,और जब तक सूर्य-चन्द्रमा की स्थिति है,तब तक उस नरक में ही पड़े रहते है,अतः मै अब इस देह को त्याग दूंगी ,अग्नि में प्रवेश कर जाऊँगी !! यह माता " सती " के मुखार्विंद से अन्तिम शब्द है यज्ञशाला में सती होने के पूर्व कहे हुए शब्द हमें आज भी जीवन में बहुत कुछ सीख देते है जो भी सीखना चाहो जीवन जीने की कला !! हम जो चाहे इससे सीख ले सकते साभार
(स्कन्द पुराण ) जय श्रीहरि: शुभरात्रि
अर्थात जो महादेव जी की निंदा करता है,तथा जो उनकी निंदा होती देखता है,और चुपचाप सुनता है,वे दोनों नरक में जाते है,और जब तक सूर्य-चन्द्रमा की स्थिति है,तब तक उस नरक में ही पड़े रहते है,अतः मै अब इस देह को त्याग दूंगी ,अग्नि में प्रवेश कर जाऊँगी !! यह माता " सती " के मुखार्विंद से अन्तिम शब्द है यज्ञशाला में सती होने के पूर्व कहे हुए शब्द हमें आज भी जीवन में बहुत कुछ सीख देते है जो भी सीखना चाहो जीवन जीने की कला !! हम जो चाहे इससे सीख ले सकते साभार
(स्कन्द पुराण ) जय श्रीहरि: शुभरात्रि
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