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जय श्रीहरि:

जीवन जीने की कला

जीवन जीने की कला- भौतिक स्तरपर आप अपनी तुलना हमेशा ऐसे व्यक्ति से करे,जो आप से कम भाग्यशाली है,इससे आपको भौतिक संतोष प्राप्त होगा ! एक बा...

मै कौन हूँ

वास्तविक आत्मा है,चैतन्य सदा विद्यमान रहता है,समय अवधि समाप्त होने पर केवल देह कुछ समय के लिए विलीन हो सकती है,मुख्य प्रश्न है,"मै कौन...

महाभारत-के सर्वश्रेष्ठ योद्धा भीष्म पितामह

भीष्म पितामह जी के त्याग का बहुत बड़ा प्रभाव था, वे कनक-कामिनी के त्यागी थे,(राजसुख-पत्नी सुख) के त्यागी थे, अर्थात्, उन्होंने राज्य को भी स...
अभी हमारे पास जिन वस्तुओं का अभाव है,उन वस्तुओं के बिना भी हमारा काम चल रहा है,हम अच्छी तरह से है, परन्तु जब वे वस्तुएँ हमें मिलने के बाद फ...
कोयल का रंग काला होता है,पर उसकी सुन्दरता तो उसकी आवाज में होती है,जो सबके मन को मोह लेती है,इसी प्रकार एक स्त्री की सुन्दरता तो उसकी शक्ल ...
महर्षि पतंजलि के अनुसार - बुद्धि के दो रूप है,एक तो "बाहरी बुद्धि" जो श्रवण और अनुमान से होती है,इसकी अपेक्षा ऋतंभरा बुद्धि श्रेष...
इस जगत की उत्पत्ति स्थिति और प्रलय जिससे होती है, अर्थात् जो जगत उत्पति स्थिति और प्रलय का निमित्त कारण है,वह ब्रम्ह है,जैसा की श्रुति कहती...
हम प्रतिक्षण एक मनोवैज्ञानिक भ्रम में जी रहे है,जिसके परिणाम स्वरुप ही मन में थकान निराशा और झुंझलाहट पैदा होती है,यह भ्रम द्रष्टा और दृश्य...
वेदांत -सिद्धान्त : आत्यन्तिक दुःखनिवृति वेदान्त के महत्वपूर्ण विषयों में से एक है,वेदांत के अनुसार जीवन की समस्याओं को केवल वस्तुनिष्ठ और ...
जीव में एक तो चेतन परमात्मा का अंश है,और एक जड प्रकृति का अंश है,चेतन-अंश की मुख्यता से वह परमात्मा की इच्छा करता है,और जड -अंश  की मुख्यता...
 - प्रत्यक्ष दर्शन वाले अनेक महापुरुष पढ़े-लिखे नही थे रामकृष्ण परमहंस पढ़े-लिखे नहीं थे,हमारे महाराज भी पढ़े लिखे नहीं थे,राम लिखना भी उन्हें...
युग शब्द "दिव्ययुग" का वाचक है,और उस समय को ब्रम्हा के दिन रात का परिणाम बतलाया गया है ,युग शब्द "दिव्ययुग"का वाचक है,ज...
कपिल मुनि ने राजा सगर के 60000,हजार पुत्रों को जो भस्म किया ,ओ क्या था यानि अन्दर के विकारो को नहीं जीत पाए थे,दुर्वासा जी ने 56 कोटि याद...
" मै देखऊँ तुम नाही गीदहिं दृष्टि अपार , बूढ़ भयऊ न त करतेऊं कछुक सहाय तुम्हार ! तह अशोक उपवन जहँ रहई ,सीता बैठि सोच रत अहई !!  इसी द...

क्या हनुमान जी सचमुच में एक बानर (बन्दर )और जामवंत एक रीछ (भालू) थे ?

मन, बचन और कर्म से -इन तीनों से यदि मन का भाव ठीक है ,तो बचन और  कर्म से चूक भी जायें तो अन्तर्यामी श्री रामचन्द्र जी उस जन के मन के ही दशा...
इन्द्रियाँ चाहे जब ,चाहे जिस विषय में स्वच्छन्द चली जाती है,मन सदा चंचल रहता है,और अपनी आदत को छोड़ना ही नही चाहता एवं बुद्धि एक परम निश्चय ...
भगवान के निर्गुण निराकार तत्व के प्रभाव महातम्य और रहस्य से युक्त यथार्थ ज्ञान को "ज्ञान "कहते है ," विज्ञानं " सगुण नि...
राजा नृग ने जो साठ हजार गाय 60000,गाय रोज दान देते थे,एक दिन एक गाय भूल से दो ब्राम्हणों को दान दे दिया था,राजा नृग की उसी एक गलती के कारण ...